तब्दीली
तब्दीली
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काँटों को लेकर क्यों रोते जनाब,
जो बोए थे बीज तूने आज फल गया।
हसरतों के जाल में रोता था उम्र भर,
दिल ही था उसका चाँद पे मचल गया।
वो सच्चा था अमिताभ संभल गया,
देखते ही देखते झूठ में बदल गया।