चलो चलें कहीं
चलो चलें कहीं
है दोस्त कोई अपना भी,
इन सदियों से आगे,
चलो बनाएँ एक आशियाँ,
इस जहां से आगे।
सोच बदलें विचार बदलें,
चलो हम युवा होवें
खतरनाक कार्य करके,
खुद में एकाग्रता जुटावें।
होश भरी दो-चार बातें करें,
लोगों से हम, पनपते नए-नए,
लोकाचार खत्म करें,
कम होवे गम।
बुजुर्गों को भी,
हम खेल के महत्व को बतावें,
हम भी दिन का कुछ पल,
इनके साथ साथ बिताएँ।
बच्चों से कई गुना ज्यादा,
आनन्द, खेल से,
बुजुर्गों को ही मिलता है,
सिर्फ खेलने को प्रेरित करें।
शिक्षा का महत्व,
आज के दौर में,
दाल में, नमक के बराबर,
हो गया है।
इसलिए यह जरूरी है,
पैसों के लिए नहीं,
जीने के लिए पैसों कि जरूरत,
इंसानों को, आज के दौर में,
होनी चाहिए।
किसे-किसे समझाएँगे,
आज हम इस जहाँ में,
सब तो स्वयं से,
खूब समझदार हो गए हैं।