तीन तलाक
तीन तलाक
1 min
117
बेबसी आँखों में दिखे
ज़ख्म इतने है गहरे
तीन तलाक कहना आसान
बिखरे जिंदगी तिनका समान
बेसहारा बच्चे होते
क्रोध की परिणीति में
जैसा भी हो
अटूट ये बंधन
बिखरे कभी न किसी
का घर आँगन
इतिहास बदला
वक्त ने करवट ली
बन्द ये प्रथा हुई