बन गए हो तुम
बन गए हो तुम
तन्हा से दिल की
धड़कन बन गए हो तुम।
ख्वाबों में थे कल तक
आज हकीकत बन गए हो तुम।
बादल, वर्षा, बिजली के संग
सावन की पहली बूँद
बन गये हो तुम।
पतझर ही होते थे
हर हवा के झोंके
पर इनमें वसन्त से लिपटे
खुशबू बन गए हो तुम।
बड़े उदास से लगते थे
ये फूलों के मौसम
पर खामोशी में अब तो
होठों पे खिलती मुस्कुराहट
बन गये हो तुम।