जल – जीवन की गजल
जल – जीवन की गजल
बूंद बूंद बुलंदी का गीत है जल
मानवीय सभ्यता का अतीत है जल
जल को समझो कुदरत की प्रसाद
भावी विकास का मीत है जल
जल है धरती का बुनियादी तत्व
जल से ही है जींदगी का सत्व
जल को समझो कुदरत की प्रसाद
जल से ही है जीव मात्र का अस्तित्व
कुदरत का हिसाब बहोत साफ है
जल के अपव्यय को करता नहीं माफ है
जल को समझो कुदरत की प्रसाद
जल के संरक्षण में ही इन्साफ है
जल का नहीं होता है कोइ रंग
जल की कमी से दुनिया होनी है तंग
जल को समझो कुदरत की प्रसाद
जल के लीये छेड सकती है जंग
जल की हर बुंद गजल होती है
उन्नति का बल होती है
जल को समझो कुदरत की प्रसाद
बिना जल, जिंदगी ओझल होती है।