जब से तुझसे दूर हूँ, मै गुमशुदा, खुद से हो गया
जब से तुझसे दूर हूँ, मै गुमशुदा, खुद से हो गया
जब से तुझसे दूर हूँ, मै गुमशुदा, खुद से हो गया
होठ मेरे सिल गये, मै लापता, खुद से हो गया
न चैन है, न आराम है, न ज़िन्दगी का कोई आयाम है
रब का ख्याल है बाद में, सदके में पहले आता तेरा नाम है
कुछ लम्हों के लिए, आ मुझको खुद से मिला
तू लौट आ ......
नींद अब आयेगी कैसे, आँखों में तेरी तस्वीर है
इनायतें मांगू क्या, तू ही मेरी तकदीर है
मेरा हौंसला तुझ ही से है, तुझसे ही मेरी कुर्बतें
तू मेरे संग हो, तो होती है मुझ पे रहमते
कुछ पल ही सही, देने राहतें
तू लौट आ ...
साथ तेरा है नहीं, खुद से ही मैं नाराज़ हूँ
अपने ज़ख्मों की, मै खुद ही आवाज़ हूँ
लफ्ज़ तो हैं मेरे, पास पर साज़ अब मिलते नहीं
बंजर हुई ज़मीन पर, गुलशन कभी खिलते नहीं
है ऐतबार, आएगी बहार
ए मेरे दिल -ए - गुलज़ार
तू लौट आ