Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Ajay Amitabh Suman

Abstract

3  

Ajay Amitabh Suman

Abstract

जहर प्रभु है

जहर प्रभु है

1 min
442


पत्थर में क्यों ढूढें ईश को, क्यों पत्थर को कर जल भर दे?

जीवन को क्यों करता पत्थर? पत्थर में जीवन बस भर दे।


तेरी जीत पे क्या तू खुश है? क्या हार पे सच में दुःख है?

निराकाश पे बनती मिटती, फिर क्या दुख है, फिर क्या सुख है?


सागर की लहरों पे टिक कर, कहता मन कुछ कुछ लिख लिख कर,

भला किसी को सूरज मिला है, तम के बाहों में लुक छिप कर?


झूठ बुरा है, माना तूने, पर क्या सच पहचाना तुने?

क्रोध बला है कह देने से, कभी शांति को जाना तूने?


जहर कभी ना माना तूने, विष को हीं पहचाना तूने,

जभी ज्ञात कोई विषधर तुझको, रोम रोम में जाना तूने।


प्रेम सुधा की बातें करते , पर सबसे तुम जलते रहते,

घृणा सत्य है तुमको बंधू , निंदा पर हीं तुम तो फलते। 


तो ईश्वर को विष दृष जानो, फिर क्या मुश्किल न पहचानो?

पर अमृत सम माया कहते , फिर कैसे उसको पहचानो?


अमृत जैसा वो ना भ्रम है, अति निरर्थक तेरा श्रम है,

गरल सरीखा उसको जानो, प्रभु मिलेंगे मेरा प्रण है।




Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract