ज़िदगी से प्यार
ज़िदगी से प्यार
ऐ प्यारी ज़िन्दगी, मैं अब जा रहा हूँ
तुझसे दूर, तेरी परछाइयों से दूर
तेरे झूठ, तेरी सच्चाइयों से दूर
उम्मीदों के टुकड़े किये है जो तूने,
वैसे टुकड़े मेरे दिल के भी हुए है,
अब इनको संभालूं, या खुद को संभालूँ
जाने खुद से मैं क्यों, रूठता जा रहा हूँ?
तुझसे होकर अलग, मौत को पा रहा हूँ।
ए दुलारी ज़िन्दगी, मैं अब जा रहा हूँ
तुझसे दूर, तेरी तन्हाइयों से दूर,
तेरे सपने, तेरी अंगड़ाइयों से दूर|
जो दर्द मेरे सीने में, अब हो रहा है|
मैं उसकी नहीं अब, दवा पा रहा हूँ,
छलकते हैं आंसू बहुत आँखों से अब,
ना उनको रोकने की, वजह पा रहा हूँ
बड़े घाव खाकर भी अब तक जीवित था,
पर अब मैं बहुत, मौत को भा रहा हूँ|
ए प्यारी ज़िन्दगी ,मैं अब जा रहा हूँ,
तुझसे दूर, तेरी अच्छाईयों से दूर,
तेरे दृश्य, तेरी परछाइयों से दूर|
कई स्वप्न देखे तेरे संग मैंने,
उनको सच करने के भी इरादे किये थे,
पुरे ना सही पर आधे किये थे,
तूने भी मुझसे कुछ वादे किये थे
इरादों के संग जितने वादे किये थे ,
उन सबको तुझे सौंपता जा रहां हूँ
यहाँ ना वहाँ, मैं कहा जा रहा हूँ?
जो तुझसे दूर है बहुत,
मैं उस जहां जा रहा हूँ।
ए न्यारी ज़िन्दगी मैं अब जा रहा हूँ
तुझसे दूर, तेरी हवाओं से दूर,
तेरे श्राप, तेरी दुआओं से दूर।