कविता का कारण
कविता का कारण
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पलकों से निकली बूँद कोई, जब इस दिल को छू जाऐगी
कागज़ पर मैं कुछ लिख दूँगा, और इक कविता बन जाऐगी
तेरे मन की कोई पीड़ा, जब मुझको समझ आ जाऐगी
कागज़ पर मैं कुछ लिख दूँगा, और इक कविता बन जाऐगी
जब अम्बर झूम रहा होगा और, धरती नग़मेंं गाऐगी
कागज़ पर मैं कुछ लिख दूँगा, और इक कविता बन जाऐगी
जब इस दुनिया की हर बेटी, अबला से सबला बन जाऐगी
कागज़ पर मैं कुछ लिख दूँगा, और इक कविता बन जाऐगी
जब सुबह के सूरज की किरणें, मेरे मन को हर्षाऐंंगी
कागज़ पर मैं कुछ लिख दूँगा, और इक कविता बन जाऐगी
जब दूर अँधेरे में मुझ को, आशा की किरण दिख जाऐगी
कागज़ पर मैं कुछ लिख दूँगा, और इक कविता बन जाऐगी