पिया तेरी मेहंदी
पिया तेरी मेहंदी
पिया तेरी मेहंदी
देखूं तो कैसे
दिमाग झनझनाता है
सिर फटा सा जाता है
पेट जब भरता नहीं
आग सा लग जाता है
पिया तेरी ज़ुल्फे
सवारूँ तो कैसे
इस रेत के समंदर में
यह हाथ अभी ख़ाली है
उग आए है कांटे
मेरी बंजर हथेलियों में
पिया तेरे आँचल को
संभालू तो कैसे
इस सँसार का दर्द
दिल में उतरता है
रह रह कर जैसे
सीने में ज़हर भरता है
पिया तेरे माथे को
चूमूँ तो कैसे