ताले में भगवान
ताले में भगवान
पट के पीछे जग बैठा हो कर के हैरान
सुना एक कीटाणु आया लेने सब के प्राण
सड़कें खाली, खाली सिनेमा खाली दर दुकान
मंदिर मस्जिद बन्द पड़े हैं ताले में भगवान
पट के पीछे.......
सब के दफ्तर घर आ पहुंचे, इंटरनेट पर क्लास
घर के काम खुद कर कर के गृहस्वामिनी परेशान
वो जो सब का बोझ उठाते, करते सब के काम
हो बेकार बेकाम बेचारे पग पग जावें ग्राम
पट के पीछे........
कुछ हैं लोग चिरागों जैसे सब के तारण हार
खुद ही आगेवाणी हो कर ,बांटें सब में दान
जो वर्दी के रंग थे सादे, खाकी, हरे सफेद
वो अब परी फरिश्ते बन कर बचा रहे हैं जान
पट के पीछे......
अर्से बाद बिताई शामें घरवालों के साथ
इक छत के नीचे होकर भी हम तुम थे अनजान
नई नई विधाएं सीखीं, नए नए विद्धवान
करछी, कलम, तुली में पाई अपनी नई पहचान
पट के पीछे......
जंगल सुधरे, वायु सुधरी, सुधरा गगन विशाल
है संदेश अनोखा रब का, रख लो इनका ध्यान
अब जब फिर से खुलेगा सब कुछ, मौका है यह मान
सब कठिनाई भूलो और बनाओ ,मेरा भारत महान।।
पट के पीछे.......