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Gr Vashisth

Others

0.3  

Gr Vashisth

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ख्वाबों की तरह

ख्वाबों की तरह

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तुम फ़कत अपने ही तो घर के बादशाह हो मगर,

हम फकीर सारे जहाँ में फिरते हैं नवाबों की तरह।


वो शख्स जिसको कल गले लगाया था तुमने,

तभी से महकता फिरता है गुलाबों की तरह।


जैसे तुम इनको सीने से लगा के रखती हो,

कभी हमको भी समझ लो ना किताबों की तरह।


आँखें खोलते ही तुमको मैं खो देता हूँ

तुम हो ही कुछ ऐसे ख्वाबों की तरह।


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