स्वार्थी लोग
स्वार्थी लोग
गज़ब का ज़माना और गज़ब के लोग हैं, साहब
सच्चे और नेक कम, बहरूपिये ज्यादा है, साहब।
करते है हस्तक्षेप, अपनी ही समस्या में
हो औरों की समस्या, तब बच निकलते हैं, लोग।
हो स्वार्थ तब, हर हद तक चले जाते है, लोग
निःस्वार्थ तो, गिरी हुई वस्तु भी नही उठाते हैं, लोग।
हो मतलब तब, हर एक साँचे में ढल जाते हैं, लोग
बिना मतलब तो, बहुत कम मिलते हैं, लोग।
गज़ब का ज़माना, और गज़ब के लोग है, साहब
सच्चे और नेक कम, बहरूपिये ज्यादा है, साहब।।