मेरी मातृभूमि
मेरी मातृभूमि
माँ तू है मातृभूमि
तुझे मेरा शत-शत नमन
जो अमर तेरे सपूत हुए
उनका करती मैं नित वंदन।
माँ तेरे आँचल की छाँव निराली है
जिसने वीरों के सीनों में सदैव
सर्वस्व न्योछावर करने की
ज्वाला सुलगाई है।
तेरी ममता का प्रतिफल है ये
जो कुर्बानी जब भी माँगी
वीर नहीं वीरों की सेना
उठ-चल कर आई है।
तेरी माटी का चमत्कार ये
जिसने अनगिनत सपूतों को उपजा
एक आह भी नहीं भरी उसने
जिसने पल-पल तेरी छवि को पूजा।
प्राणों की वेदी पर
तेरा अभिषेक किया जिसने
स्वप्न में भी एक आँच न आने दी
उन शूरवीरों का, उन अमर जवानों का
मैं करती प्रतिदिन स्मरण।
माँ तेरी बेटी हूँ, मैं अाकिंचन
क्या दे सकती हूँ तुझे, मालूम नहीं
चाहे मेरा अस्तित्व तुच्छ
पर एक बार तुझ पर
मिटने की चाह उमड़ती है।
सर्वस्व लुटा दूँ तुझ पर
ऐसी कामना मन में घुमड़ती है
इतिहास के पन्नों पर
चाहे नाम न अंकित हो।
पर बूंद-बूंद के सागर की
मैं एक बूंद बनूँगी।
अपने हिस्से का लघु कारज
मैं प्रतिदिन प्रतिक्षण
आजीवन पूरा करूँगी।
मेरे प्राणों की अंतिम श्वास
पर भी तेरा ही नाम होगा
जय मातृभूमि जय जननी
जय मातृभूमि जय जननी
यही शब्द उच्चरित होगा।।