प्रेमक्षुधा
प्रेमक्षुधा
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प्रीत संग नवजीवन कलरव
कसमस सौरभ प्रेम विभव
झिम रिमझिम उन्मद कानन
आ प्राणपवन महकाती जा
आजा, आ, अब, आ भी जा
पल पल अविकल सरस भाव
ज्यों शीतज्वार से तर अलाव
उपवन चेतन कर नय भर दे
तू छनन छनन मदमाती जा
आजा, आ, अब, आ भी जा
मधुबेला कर दे मुक्तपाश
है शशिप्रभा उन्मन उदास
जुल्फ़ खोल आदेश थमा
ये मेघमाल सरकाती जा
आजा, आ, अब, आ भी जा
चिरवियोग पतझड़ जीवन
आयुताप शापित तन-मन
निज यौवनघट की मधुर धार
इस जीवन में बरसाती जा
आजा, आ, अब, आ भी जा
- ओजकवि विजय कुमार विद्रोही