बारिश और किसान
बारिश और किसान
वो बारिश के सबसे करीब रहता था,
ज़मीन पर उतरने से पहले वो उससे मिला करती थी,
कभी पहली झलक बनकर उसकी आँखों में आती थी,
कभी उसकी हथेलियों पर सिक्कों सा चमका करती थी,
लेकिन पता नहीं क्यों उसने पिछले कुछ साल से आना
कम कर दिया था
अपने पिता को बारिश के इंतजार में उसने बूढ़ा होता
देखा था,
वो अपने बच्चों को बूढ़ा होता नहीं देखना चाहता था,
इसलिए वो खेत लाँघ कर शहर दौड़ गया
जहां उसे काम की जगह इंतजार मिला
वो इंतजार जो उसने बारिश के लिए बचा रखा था
उसे रोज़ की दिहाड़ी में गिरवी रखना पड़ता था
एक रोज़ उसे पता चला गाँव में उसके बारिश आई है,
लेकिन वो उसके खेत का रास्ता भूल गई है,
उसे पता चला कि बारिश और खेत के बीच का रास्ता
जो नहर से तय हुआ था,
वो सिर्फ सरकारी फाईलों में बना हुआ है,
अब वो सरकारी दफ्तर के बाहर रास्ते का इंतजार करने लगा
एक दिन वो प्यास से तड़पने लगा, लोगों ने उसे पानी पिलाया
लेकिन वो बारिश पीना चाहता था,
अगले दिन अखबार में ख़बर छपी एक किसान ने आत्माहत्या की
लेकिन ये कोई नहीं जानता था ये हत्या थी,
एक किसान की, एक बारिश की !