यादें
यादें
मिट्टी भी बहुत जमा कर के देखी
खिलोने भी बहुत बना कर देखे
ना ही फिर वह कागज़ की नाव बनी
ना ही बिछड़े साथी लौट कर आये
जाने कहा सब खो गए वो साथी पुराने
जाने कहा चला गया वो बचपन सुहाना ।
हर पल हम हँसते गाते थे न ही कोई
चिंता होती थी न ही कोई गम होता था
ज़िद्द हमारी हर पूरी होती थी हर कोई हमसे
प्यार करता था
ढूंढ रहे है वह गुजरा ज़माना काश वह लौट आये
बचपन सुहाना ।
यादें ही रह गयी अब तो यादें ही रह गयी अब तो
वो दौड़ के एक दूजे को छु लेना कहा खो गए सब
सांगी साथी कहाँ खो गए सब
खोज रहे है सब को हम काश फिर कोई सामने आ जाए
सामने आ जाए हमारे ।