मकान
मकान
कुछ दिनों से
राख बिखरे पड़े हैं
मेरे ज़मीर पे
कमबख़्त कोई आता नहीं
अब उसे उठाने !
मकान मेरा
अब श्मशान - सा लगने लगा है...।
कुछ दिनों से
राख बिखरे पड़े हैं
मेरे ज़मीर पे
कमबख़्त कोई आता नहीं
अब उसे उठाने !
मकान मेरा
अब श्मशान - सा लगने लगा है...।