समय हूँ में
समय हूँ में
आदि हूँ मैं अंत भी
चारों दिशा में फैला अनन्त भी
सब कुछ में देखता रहा
सबको में सुनता रहा
काल हूँ तो कभी अकाल भी।
मुझे जो समझ पाया
मैं हूं उसका छाया
जो ना समझ पाया
उसकी गुम हो जाए काया।
सृष्टि की आधार हूँ मैं
अतीत वर्तमान भविष्य हूँ मैं
कभी विराट साम्राज्य बनते देखा
कभी एक पल में बिखर के
मिट्टी में मिलते देखा।
एक अदृश्य अलौकिक
अदभुत हवा हूँ मैं
समय हूँ मैं।
जन्म के साथ ही होती शुरू
मरने के साथ खत्म
लेकिन समय नहीं मरता
बस चलता रहता चलता रहता।
जीवन मे कभी लगती खुशी
तो लगता समय अच्छा है
कभी आती ग़मों की लहर
तो लगता समय बुरा है
समय अच्छा या बुरा नहीं होता।
सोच बदलने की जरूरत है
सच्चाई से मुँह फेर कर दोष देना
ये काहाँ की अकलमंदी है।
आसान तो कुछ भी नहीं है
परिस्थितियां तो हमेशा
बदलती रहती है
बस खुद पे काबू आ जाये
जग जीतने जैसा लगता है।
हर नाकामयाबी
बहुत कुछ सिखाती है
पहले से और बेहतर बनाती है
हर कामयाबी बहुत कुछ
छीन ले जाती है
इंसान की असल छायाचित्र
को सामने लाती है।
नाकामयाबी में कभी ना झुकना
कामयाबी में कभी ना अकड़ना
गम आये तो आये
खुशी आये तो आये
बस यही कहना।
ये लम्हा गुजर जाएगा
फिर दुबारा ना आएगा।
मुश्किलों में हौसला मिलेगा
उमंगों में रहेगा मन में काबू
इस मंत्र को याद रख लो।
जीवन सुधर जाएगा
चल जाएगा
ईश्वर की कृपा से जादू।