अच्छी बात बुरी बात
अच्छी बात बुरी बात
तुम आस्तिक मैं नास्तिक, तुम शांति मैं अशांति
तुम राजा मैं रंक, तुम पवित्र मैं पापी।
तुम दोस्त मैं दुश्मन, तुम दिन मैं रात
तुम सुंदर मैं बदसूरत, तुम फूल मैं काँटे।
तुम पूरब मैं पश्चिम।
तुम खुद को सब्र की मूरत समझते हो अच्छी बात है
और हम पर बेसब्री का इल्जाम लगाते हो बुरी बात है।
तुम खुद को शान्ति परास्त मानते हो अच्छी बात है
और हमपर अशांति जा इल्ज़ाम लगाते हो बुरी बात है।
तुम खुद को धर्म की मूरत समझते हो अच्छी बात है
और हमपर अधर्मी का इल्जाम लगाते हो बुरी बात है।
तुम खुद को राजा समझते हो अच्छी बात है
और हमको रंक समझते हो बुरी बात है।
तुम खुद को मानव समझते हो अच्छी बात है
और हमको दानव समझते हो बुरी बात है।।