अवकाश न भरना
अवकाश न भरना
अब की बार तुम
निराश ना करना,
जागते रहना दिन भर
अवकाश न भरना।
रात बनी सोने को
दिन मंज़िल का सफर,
दौड़ते रहना राह पर
अवकाश न भरना।
ज़िंदगी जीना पलों में
दुनियादारी में चलकर,
बुनियाद बनाना पत्थर सी
अवकाश न भरना।
काँटों में भी सो जाना
चाहे फूलों से जलकर
खुशबू ही खुशबू करना
अवकाश न भरना।