जीवन कैसा बनाएँ ?
जीवन कैसा बनाएँ ?
जीवन कैसा बनाएँ ?
जीवन संघर्ष है इसलिए कि,
निराशा को अपनी पहचान बनाया।
जीवन सहज है,
क्योंकि इसे गतिशील बनाया ।
संगीत के सुरों से सजाएँ या
कोलाहल का घर बनाएँ,
आप ही बताएँ,
किस ओर ले जाएँ?
ईंट से ईंट मिले तो
घर का निर्माण हो जाए,
ईंट से ईंट बजे तो ,
विनाश की बिगुल बज जाए ।
जीवन किस मोड़ पर लाएँ?
जीवन को आक्रोश की धूल से ढँके,
अथवा चाँदी के अर्क से सँजाए।
आप ही बताएँ कैसा बनाएँ ?