हादसे के शिकार बच्चे
हादसे के शिकार बच्चे
आँखों के आंसू गिरते गए.....
संजोए सपनो के अंगारे जल कर बुझ गए
माँ के कलेजे और कोख के बुंद कतरा गए
क्या बीती होगी उन माताओं पर
जिनके बच्चे उस भीषण हादसे के शिकार हुए होंगे
दिल में आस लगाकर माँ दरवाज़े पर खड़ी थ
नयनो में नटखट की टाट लेकर मुन्ने के प्रति अड़ी थी
पर थोड़ी ही देर में माँ को एक संदेशा आया
काल रूपी कोई उसके मुन्ने को मार आया
यह संदेशा था या कोई ख़ामोशी थी माँ के
लिए पर कुछ ही क्षण में उसके बेटे का प्राण रहित देह आया
देख उस दृश्य को माँ का कलेजा फट आया
नयनों को अंधा कर उसका बेटा जब घर आया
पिता का हृदय पत्थर फट कर चूर-चूर हो गया
उनके नयनों का दीपक जल-जल कर बुझ गया
हरप्रीत, श्रुती, स्वास्तिक, कांति, राहुल का जब शव आया
देख यह दृश्य सब के सब नयनों के हर्षित मुर्झाया
था जो अरमान आज ईश्वर ने पूरा कर दिया
लेकर बेटों की जान घर को श्मशान बना दिया
यही आरजू नहीं थी तुझसे कि सज़ा मुझे दे देना
मुझसे ही मेरे बेटे को छीन कर तूने मज़ा ले लिया
काल क्रंदन के सिर मौर तुमने जो मुझ पर बांधे है
हे ईश्वर तुम ख़ुद से पूछना तुमने क्या साधा है
हम जैसे अनाथ को क्यों तुमने अनाथालय कर दिया
मेरे अरमानों को क्यों तुमने श्मशान आलय बना दिया