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Ratna Pandey

Drama Tragedy

5.0  

Ratna Pandey

Drama Tragedy

मत करो बर्बाद देश की जवानी को

मत करो बर्बाद देश की जवानी को

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तलाश रहे हैं आज हम उन फलों को

जो रस भरे सेहतमंद होते थे ।

किन्तु लद गए वह दिन

जब अमृती तरबूज मिलते थे ।


कहीं जामुन, कहीं अमरुद

कहीं रंग बिरंगे सेब गुणों से भरपूर मिलते थे ।

फलों का सेवन दिलों को खूब भाता था

जूठे बेर खाकर शबरी का

राम का मन फूला ना समाता था ।

नहीं अब राम, नहीं शबरी

ना ही उन फलों का ज़माना है

लालच और स्वार्थ ने फलों को भी ज़हरीला बनाया है ।


रसायन शास्त्र पढ़कर इन्सान ने ऐसा विष बनाया है

एक ही रात में फलों के आकार को दुगना बनाया है ।

डालकर रसायन ज़रूरत से ज़्यादा फलों को मीठा बनाया है ।

तरस आता है, नई पीढ़ी को हम क्या खिलाएँगे

बाल्यावस्था से ही उनके लहू में ज़हर मिलाएँगे ।

ज़हर बनाने वालों मत करो बर्बाद देश की जवानी को

तरस खाओ उन नादानों पर ।


जो अनभिज्ञ हैं फलों के असली स्वाद से

फलों के असली लाभ से ।

इन्सान ने भगवान को भी नहीं छोड़ा

प्रसाद में भी अपने स्वार्थ का ज़हर है घोला ।

रुग्णावस्था में फल वरदान होते हैं

रोगी के लिए अमृत का स्थान लेते हैं ।

लद गए अब वह ज़माने

जब फलों के आहार से लोग रोगमुक्त होते थे ।


किन्तु अब यह ज़माना है

फलों के आहार से लोग रोगलिप्त होते हैं ।

हम कहाँ से कहाँ आ गए

लालच के वशीभूत होकर

फलों को ऐसा बना गए

जो धीरे-धीरे डस रहे हैं

और लहू में विष भर रहे हैं ।







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