भावना
भावना
भावों के कोरे कागज़ पर
सूख गये है नयनों के रंग
भावनाओं के उड़ते पाखी
सतरंगी पँखों से आखर
आकर कब लिख जाओगे ?
जी भर भाव बरसे आंगन
भीग न पाया अन्तर्मन
मौन पड़ी है अन्त:स वीणा
भीगे सुर सा भाव संवेदन
किन तारों पे गाओगे ?
मृदु भावना की अनगिनत लहरें
मन के सागर में उफनती
भीगे सुर से भाव संवेदन मे
स्वर लहरी के बन्द दरवाज़े
क्या तुम खोल पाओगे ?
आ जाओ तो स्वप्न लोक में
दोनों ही भर लें उड़ान
होगी भाव भंगिमा झँकृत
व्याकुल मन मे प्रेम पहचान
कब तक तुम ठुकराओगे
अब तो लौट के आओगे