लोग
लोग
जलती को हवा देकर,
जलाते हैं लोग,
दिल तोड़कर किसी का,
मुस्कुराते हैं लोग।
गम पे किसी के हँसना,
दुनिया की नादानी,
समझेगी दुनिया क्या,
गैरों की परेशानी।
परशानियाँ तो और भी,
बढ़ाते हैं लोग।
अपनी अपनी सोचे,
खुदगर्ज दुनिया सारी,
विश्वास की हदों से,
बाहर है दुनियादारी।
अपने लिए किसी का चैन,
चुराते है लोग।
दुनिया को समझना,
कहाँ है आसां,
दिल में कुछ तो कुछ,
कहती है जुबाँ।
पल भर में यहाँ,
बदल जाते हैं लोग।
जलती को हवा देकर,
जलाते हैं लोग,
दिल तोड़कर किसी का,
मुस्कराते हैं लोग।