परदेशी रे..
परदेशी रे..
दिल के किसी कोने में,
आह सी उठती है,
तन्हा है दिल,
साँस भी उखड़ी है।
पुरवाइयाँ हैं हवाएँ भी,
मन को बहला रही हैं,
बार बार मेरे नयनों
को आ छलका रही हैं।
परदेशी रे तू ना जा रे,
वापिस तू आजा रे,
तेरे जाना ना हमें भाये रे,
रैना अश्रु में भीगती जाए रे।
साँसों में धड़कन में,
तू शामिल, मेरे रोम-रोम में,
तेरा साथ, तेरा प्यार,
जग से है प्यारा रे।
बंजारन तेरी,
रास्ता निहारे तू आजा रे,
परदेसी रे तू ना जा रे।
मेरी धड़कन पुकारे,
तू आजा रे,
तू आजा रे।।