अमूल्य वृक्ष
अमूल्य वृक्ष
क्यों वृक्ष कटते
मीत मेरे
प्रकृति सौन्दर्य का
क्यों तिरस्कार करते
जिनसे सॉसें उन्हें उजाड़ते||
है मनुज से भी बड़े
न कभी वोकष्ट देते
हाँँ ! मनुज क्या हो गया
तेरा ज्ञान कहॉ खो गया|
जन जन में अलख जगाओ
वृक्षों का जीवन बचाओ
सुखी होवेगी अगली पीढ़ी
जीवन में सबके हरियाली|
नन्हें नन्हें पौधे
जग सुन्दरतम बने
याद रखो जगत में
यही संसार को जीना सिखाते||
इनको सीचते रहोगे नीर से
खुश करते ये स्व पुष्प फल फूल से
कटे न पादप इन्हें रोपकर साथ दें
इनकी छाया में रहते हम नीरोग से||