घुटन
घुटन
कुछ घुटन सी है सीने में, कुछ अकेली सी है आंहे, तन्हाई,
आँखे बंद करता हूँ तनहा, तो पुकारती है बांहें, परछाई,
सब जलकर ख़त्म क्यों नही हो जाता, क्यों रह जाती है हस्ति, बंजर,
इस रूह का नाम लेकर ये दुनिया, क्यों घोपती रहती है खंजर,
लोग बहुत संगदिल है सौदाई, क्यू छुपे अश्को की बात है करते,
वादों के सहारे जब चलती ज़िंदगी, क्यों यादों में ज़हर है भरते,
वफ़ा नही तो भी मोहब्बत जताई, ज़िन्दगी को देखकर आँख भर आई,
कैसी कैसी लोग बातें ही करते, घुटन भरी ज़िंदगी बस नाम है करते,