ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
मेरे मन में एक गहराई है,
उसमे छिपी तनहाई है,
वह आज जाकर बाहर आई है,
एक प्रश्न मन में लाई है,
मनुष्य दुनिया में बच्चा बनके आता है,
तभी वह सारी खुशियों को पाता है,
बचपन में राजा बनके वह जीता है,
लोगो से प्यार का अमृत वह पीता है,
उसके बाद किशोर व तरुण बन जाता है,
किसी के प्यार में खुदको पाता है,
तभी वह धोखा खाता है,
और समाज उसे ही नीचा दिखाता है,
उसके बाद जवानी आती है,
वह पैसो की भूख लाती है,
परिवारकी जिम्मेदारी समझाती है,
जिंदगी दुसरों के लिए घिस जाती है,
दर्द तब होता है,
जब मनुष्य का बुढ़ापा आता है,
जो बहुत सी दवाईयाँ लाता है,
अपनों की दुत्कार खाता है,
और एक दिन दुनिया से चला जाता है,
बस यही है ज़िन्दगी।