मुझे साथ तुम्हारा चाहिए
मुझे साथ तुम्हारा चाहिए
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रात की मदहोशी भरी आगोश से जब मैं जगूँ
और, इंतजार में पलकें तुम्हारी राह निहारे
तो, दिल की प्याली में चाय प्यार की मिठास भरी-
जो पास मेरे लावे, वो हाथ तुम्हारा चाहिए
मुझे साथ तुम्हारा चाहिए
उषा संग दिनकर के-
किरण बिखेरती सतरंगी
जॉगिंग कर माथे पे बूंदें लेकर
शबनम सी छोटी-छोटी
पट खुलते ही - निगाहें जो देखे-
वो खिलता चेहरा तुम्हारा चाहिए
मुझे साथ तुम्हारा चाहिए
दिनभर की काम से जंग
और, संध्या थकन के संग
गले की टाई करके ढीली
खोकर अपने श्रम की उमंग
कदम जो थकते रखूँ...
...और' चहकते जो खुले दरवाजे
वो मुस्कान तुम्हारा चाहिए
वो मुस्कान - जो लौटा दे उमंग
खुशियों के साथ खिलते रंग
वो रंग तुम्हारा चाहिए
मुझे संग तुम्हारा चाहिए
मुझे साथ तुम्हारा चाहिए...|