इक दफ़ा, तू ज़रा ... करीब आ जाने जाँ
इक दफ़ा, तू ज़रा ... करीब आ जाने जाँ
इक दफ़ा, तू ज़रा ... करीब आ जाने जाँ
सुन मेरी धडकनें जान मेरी रज़ा...
बेताब हैं कुछ इस कदर मेरी हसरतें
तुझसे शुरू तुझपे ख़तम मेरी सब हदें...
तेरे दीदार से शुरू है मेरी हर सुबह
रातों पे तेरी हुक़ूमतें तू है सपनों की वजह
सूना है तेरी हँसी बिन, जैसे ख़ुशियों का जहाँ
इक दफ़ा, तू ज़रा... करीब आ जाने जाँ
नज़रों में तू है बसी तू धड़कनों की दिलकशीं
तेरी साँसें ऐसी हैं, जैसे सरगम की कहकशी
तेरा इंतेज़ार एक अक्स है, या सब्र मन्नतों का
तेरा साथ एक आयत है, या तोहफा रहमतों का
तू ही है अब बस इस दिल की इंतेज़ा
इक दफ़ा, तू ज़रा... करीब आ जाने जाँ
तेरे बिना बेकार है, मौसम सारे बहार के
तू उदास हो, झूठे लगे सब मायने प्यार के
इक़रार मैं करता हूँ, तेरे लिऐ मैं मचलता हूँ
पर दर्द तुझे हो, तो मैं भी तड़पता हूँ
तेरे साथ ही है, मेरी तिशनगी
बेचैन मैं हर पल, तेरे लिऐ रहा
मेरे दिल ने बस फिर इतना ही कहा..
इक दफ़ा, तू ज़रा... करीब आ जाने जाँ