उड़ान
उड़ान
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रखा जाएगा यूँ कब तक,
शोषित-पीड़ित जैसा
तोहमत नारी पर ही लगती,
क्यों होता है ऐसा
ज़ोर-ज़बरदस्ती किसने की,
किसने भुनाई मजबूरी
किसने घर में बाँध के रखा,
शिक्षा से रक्खी दूरी
कौन उठाये-कौन गिराए,
कौन निकाले घर से
पाँव लाँघ लें चौखट को तो,
लाँछन लाखों लगते
जैसी अपनी सोच हो दूजा,
भी लगता है वैसा
तोहमत नारी पर ही लगती,
क्यों होता है ऐसा
घूँघट, बुर्क़ा जैसे कितने
पर्दे टांग दिए हैं
जाने कैसे कैसे पग में
बंधन बाँध दिए हैं
आगे बढ़ने के रास्ते में
बाधा डाली हमने
इसने-उसने करना छोड़ो
काम किया ये सबने
अब तो नारी को उड़ने दो
देखें लगता कैसा
रखा जाएगा यूँ कब तक
शोषित-पीड़ित जैसा