दिल की धड़कन
दिल की धड़कन
तेरे शहर ने हमको जीने न दिया
मेरी मोहब्बत ने हमे मरने न दिया।
ज़ख्म न जाने कितने अपनो न दिए
दिल की धड़कन ने उन्हें भूलने न दिया।
मैं हरसूं ढूंढती रही जिस रहनुमा को
पास होकर भी उसे जाने क्यों दिया।
दिल की धड़कन बस उसे पुकारा करती है
वक़्त ने न जाने ये खेल होने क्यों दिया।
चाहकर भी उसको बुला नहीं सकती
किसी और के साथ उसे जाने क्यों दिया।