टीचर कहते है
टीचर कहते है
हम बच्चो के साथ सदा उत्साहित रहते है
दिन भर कहाँ रहते है तो अपना पता स्कूल कहते है
घर आकर सोचते हैं की क्यों हमें बच्चे नहीं सुनते है
बच्चे सोचे इसलिए हर सवाल पर चिंतन करते हैं
उनकी बेवजह की वजह में मतलब ढूंढ़ते रहते है
उनके विचार को खूबसूरती से सजाते है
कफ सिरप पीकर अपनी आवाज को बरक़रार रखते है
और स्कूल ख़तम होने तक बच्चो का गीत सुनते है
हर रात मल्टी विटामिन की सप्पलीमेंट खाते है
और सुबह बच्चो को सम्पूर्ण आहार पर ज्ञान देते है
खुद की राह तो घर से स्कूल तक ही है
पर हर दम बच्चो को नई राह दिखलाते है
वक्त के कांटे के साथ हर दिन भागते है
फिर भी टाईमटेबल एडजस्ट नहीं होते है
प्रिंसिपल से अपनी छुट्टी की दुहाई मांगते रहते है
और रजिस्टर में बच्चो की अनुपस्थिति दर्ज करते रहते है
हमारे माँ बाप भी चाहते थे की हम मशहूर हो
हुए तो जरूर, भई किताबो के पन्नो पर दस्तखत तो हमारे ही होते हैं
बहरहाल बच्चे कुछ सीखे हम ये मंथन करते रहते हैं
कोई पूछे तो हम अपने आपको टीचर कहते है