वक्त
वक्त
हर खुशी है लोगों के दामन में,
पर एक खुशी के लिए वक्त नहीं,
दिन रात दौड़ती दुनिया में,
ज़िन्दगी के लिए वक्त नहीं।
माँ की लोरी का एहसास तो है,
पर माँ को माँ कहने का वक्त नहीं,
सारे रिश्तों को हम मार चुके,
अब उन्हें दफनाने का वक्त नहीं।
सारे नाम मोबाइल में है,
पर बात करने का वक्त नहीं,
गैरों की क्या बात करें,
जब अपनों के लिए वक्त नहीं।
आँखों में है नींद बड़ी,
पर सोने का वक्त नहीं,
पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े,
कि थकने का वक्त नहीं।
प्यारे एहसासों की क्या कदर करें,
जब अपने सपनों के लिए वक्त नहीं,
ऐ जिंदगी तू ही बता,
इस जिंदगी का क्या होगा।
कि हर पल मरने वालों को,
जीने के लिए वक्त नहीं।।