Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Dipak Mashal

Others

3  

Dipak Mashal

Others

वो आतंकवाद समझती है

वो आतंकवाद समझती है

1 min
13.9K


वो जब घर से निकलती है
 
ख़ुद ही
 
ख़ुद के लिऐ दुआ करती है
 
चाय की दुकान से उठे कटाक्षों के शोलों में
 
पान के ढाबे से निकली सीटियों की लपटों में
 
रोज़ ही झुलसती है
 
चौराहों की घूरती नज़रों की गोलियाँ
 
उसे हर घड़ी छलनी करती हैं 
 
आतंकवाद!!!!
 
अरे इससे तो तुम 
 
आज ख़ौफ़ खाने लगे हो
 
वो कब से 
 
इसी ख़ुराक पे जीती-मरती है
 
तुम तो आतंक को
 
आज समझने लगे हो
 
आज डरने लगे हो
 
वो तो सदियों से डरती है
 
ज़मीं पे आने की जद्दोज़हद में
 
किस-किस से निपटती है
 
तुम जान देने से डरते हो 
 
वो आबरू छुपाये फिरती है
 
क्योंकि वो जान से कम और 
 
इससे ज्यादा प्यार करती है
 
तुम ढँके चेहरों और
 
असलहे वाले हाथों से सहमते हो
 
वो तुम्हारे खुले चेहरे
 
खाली हाथों से सिहरती है
 
तुम मौत से बचने को बिलखते हो
 
वो ज़िंदगी पे सिसकती है
 
तुम्हे लगता है...
 
औरत अख़बार नहीं पढ़ती तो कुछ नहीं समझती!!
 
अरे चाहे पिछड़ी रही हो शिक्षा में 
 
मगर सभ्यता में
 
आदमी से कई कदम आगे रहती है
 
इसलिऐ
 
हाँ इसीलिऐ 
 
हमसे कई गुना ज्यादा
 
वो आतंकवाद समझती है
 
वो आतंकवाद समझती है..


Rate this content
Log in