मेरे बाबा
मेरे बाबा
बाबा कहते थे
तू मेरी गुड़िया
मेरे जीवन का स्वाभिमान
मेरे जिगर का टुकड़ा है
तू मेरी बिटिया
ऐसी प्यारी बातें करते
मेरे बाबा
उखड़ी उखड़ी क्यों है बिटिया
खाना नहीं खाएगी क्या
मैं भी नहीं खाऊंगा
रात भर मनाऊंगा
तेरे सिरहाने यूं ही बैठा
तेरा सिर सहलाऊंगा
पेट नहीं मेरा दिल भरते
मेरे बाबा
रात भर कहानी सुनाते
बिजली गुल होती जब
मेरा पंखा बन जाते
रात भर पंखा डुलाते
कभी नहीं थकते
और खूब बतियाते
वो थे शक्तिमान सरीखे
मेरे बाबा
माँ डांटे आंचल बन जाते
आँसू पोंछते और समझाते
हिम्मत देते धैर्य बंधाते
प्यार से जब गले लगाते
तब मेरा ढाढस बन जाते
नींद में प्यारी सी झपकी
और स्नेह का प्यारा आंचल
मेरे बाबा