कवि परिचर्यम
कवि परिचर्यम
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कवि परिचर्यम
आत्मा के सौंदर्य का
शब्द रूप है, काव्य
मानव होना भाग्य है
कवि होना सौभाग्य
सो विचारों की जंग में
बिखर गए सब रंग
करे उजागर जहान को
भरे सब जगह उमंग
जोड़-जोड़ के शब्द के मोती
वो चन्द भर लिख पाते हैं
कोई क्या जाने की वो
टूटे हुए दिलों की दुआओं को
सजा पाते हैं।
आत्मा के सौंदर्य का
रंग रूप है, काव्य
मानव होना भाग्य है
कवि होना सौभाग्य