मेरा प्यार
मेरा प्यार
तेरी और मेरी मुलाक़ात की कहानी भी ग़ज़ब है
कब,कौन,कहाँ ,किससे मिल जाए ये दुनिया भी अजब है
कुछ यूँ मेरी तुमसे मुलाक़ात हुई थी
ना चाहते हुए भी तुमसे बात हुई थी
अनजान,अजनबी सी थी तुम मेरे लिए
एक अबूझ पहेली सी थी तुम मेरे लिए
सुनसान रास्तों के इस तनहा सफ़र की
एक हसीन मंज़िल थी तुम मेरे लिए
बिन देखे ,बिन जाने ,बिन सोचे ,बिन समझे
मुझे तुमसे मोहब्बत हुई थी
कुछ यूँ मेरी तुमसे मुलाक़ात हुई थी
तुम्हारे पहले ही उत्तर ने
मेरे दिल के घोड़ों पे लगाम लगाई थी
लेकिन फिर भी पहली बार
दिल ने दिमाग़ पे जीत पायी थी
कुछ साहस जुटा के मैंने फिर से कोशिश की
शायद मेरी ज़िंदादिली इस बार तुम्हें भी रास आयी थी
क्या तुम्हारी आँखे ,क्या तुम्हारी ज़ुल्फ़ें ,
क्या तुम्हारी बातें ,क्या तुम्हारी अदाएँ ..
मुझे तुम्हारी हर चीज़ से मोहब्बत हुईं थी
कुछ यूँ मेरी तुमसे मुलाक़ात हुई थी
उस ख़ामोश मुलाक़ात से इस बातों के सिलसले तक
कुछ ठहराव भी आए तो कई बार
ग़लतफ़हमियों ने भी रास्ता बाधित किया
लेकिन हर बार दो क़दम तुमने बढ़ाये ..
दो क़दम मैंने बढ़ाए
कुछ यूँ मैं और तुम से हम होकर हर बार
हमने बाधाओं को पराजित किया
तुम्हारे जज़्बे ,तुम्हारी ज़िद ,तुम्हारी हिम्मत
तुम्हारी हर चीज़ से मुझे मोहब्बत हुई थी
कुछ यूँ मेरी तुमसे मुलाक़ात हुई थी
इस ख़ुशनूमा सफ़र का मैं नहीं चाहता कोई छोर हो ,
बिछड़ जाए हम दोनो ऐसा कोई मोड़ हो
तुम यूँही साथ चलती रहना ..
मैं राहों तेरी फ़ूल बिछाता चला जाऊँगा
तुम यूँही हँसती रहना हमेशा .
मैं तेरे लिए सितारों की महफ़िल सजाता चला जाऊँगा
तुम दिल पे मेरे ऐतबार रखना
.मैं यूँही मोहब्बत निभाता चला जाऊँगा
शुक्रगुज़ार हम उस पल का
जिस पल मेरी तुमसे मुलाक़ात हुई थी
ना चाहते हुए भी तुमसे बात हुई थी
कुछ यूँ मेरी तुमसे मुलाक़ात हुई थी
मुझे तुमसे मोहब्बत हुई थी