अंतर्मन
अंतर्मन
घनघोर अंधेरा छाए जब
कोई राह नज़र ना आए जब
कोई तुमको फिर बहकाए जब
इस बात पे थोड़ी देर तलक
तुम आँखें अपनी बंद करना
और अंतर्मन की सुन लेना
मुमकिन है हम - तुम झूठ कहें
पर अंतर्मन सच बोलेगा !
जब लम्हा - लम्हा 'आरी' हो
और ग़म खुशियों पे भारी हो
दिल मुश्किल में जब पड़ जाए
कोई तीर सोच का 'अड़' जाए
तुम आँखें अपनी बंद करना
और अंतर्मन की सुन लेना
मुमकिन है हम - तुम झूठ कहें
पर अंतर्मन सच बोलेगा !
जब सच - झूठ में फर्क ना हो
जब गलत - सही में घिर जाओ
तुम नज़र में अपनी गिर जाओ
इस बात पे थोड़ी देर तलक
तुम आँखें अपनी बंद करना
और अंतर्मन की सुन लेना
मुमकिन है हम - तुम झूठ कहें
पर अंतर्मन सच बोलेगा !
ये जीवन एक छाया है
दुख, दर्द, मुसीबत माया है
दुनिया की भीड़ में खोने लगो
तुम खुद से दूर होने लगो
तुम आँखें अपनी बंद करना
और अंतर्मन की सुन लेना
मुमकिन है हम - तुम झूठ कहें
पर अंतर्मन सच बोलेगा !