बेरोजगारी
बेरोजगारी
बेरोजगारी है हर तरफ
बेरोजगार हैं आज के लोग ,
करना चाहते हैं बहुत कुछ
मगर हैं हालात से मजबूर ,
हो भी गये अगर सेलेक्ट
तो देनी पड़ती है रिश्वत ,
देखा होता है जो सपना
हो जाता है चकनाचूर ,
हैं जो कुछ अमीर लोग
उठा लेते हैं सब लाभ ,
पैसे की कोई कमी नहीं
रिश्वत देते हैं भरपूर,
यही है भ्रष्टाचार
यही है भ्रष्टाचार ,
हो कहीं एक पद
तो पहुंचते हैं हजार ,
हो गये अगर असफल
तो आ जाते हैं वापस ,
आँखों में नमी लिए ,
और जाग उठता है-
एक नफरत,एक भ्रष्टाचार ,
जनसंख्या है डेढ़ सौ करोड़
कहाँ से पाओगे तुम आरक्षण ,
यही से पनपता है
एक भ्रष्टाचार,एक नफरत ,
है ये कलयुग मेरे दोस्त
है ये कलयुग !
कुछ ऐसा करना होगा ,
जिससे बने अपनी पहचान ,
ऊँचा हो नाम ,
और घर बालो का भी
हो जाये मसहूर नाम !
फिर कहाँ रहेगा तू बेरोजगार,
मेरे दोस्त ! कहाँ रहेगा तू बेरोजगार I