वक्त
वक्त
रेत के समान वक्त,
हाथों से चला है फिसल-फिसल।
बाँध ले चाहे कितनी भी मुट्ठी,
यह न रुकेगा एक भी पल।
वक्त पर तेरा पहरा नहीं,
पर वक्त के पहरे से तू छूटा नहीं।
हर पल जी ले जिंदगी,
यह जनम दोबारा नहीं।
खरीद ले तक्तो-ताज,
दौलत हो बेशुमार।
लगाले ढेर सोने चाँदी के,
वक्त कभी बिकता नहीं।
हर चीज है कठपुतली,
वक्त के हाथ नाच रही।
वक्त दौड़ चला है अपनी चाल,
किसी के इशारे पर रुकता नहीं।