थोड़ा पहचानता हूँ
थोड़ा पहचानता हूँ
मैं ये नही कहता की, मैं तुमको, तुमसे ज़्यादा जानता हूँ |
बस ये कितने मुश्किल हालात है, इन हालात को थोड़ा पहचानता हूँ ||
पहले दिल के किसी हिस्से को, किसी और मे यूँ खो देना |
अब उस खोए दिल को, खुद की तन्हाई मे ढूँढना ||
पहले दिल की सारी बातों को बेखौफ़ होकर बोलना |
अब वो बातें कहने के लिये, तन्हाई मे उसका चेहरा टॅंटोलॅना ||
मैं बस ये बाते जानता हूँ, तेरी तन्हाई नही जानता हूँ |
लेकिन किसी टूटे दिल की तन्हाई है, इसलिये थोड़ा पहचानता हूँ ||1||
पहले उसकी हर बात और आदत को भी समझ लेना |
और अब उस कहानी को सोच कर, बेवजह रो देना ||
तब हर छोटी बात को, सपनो के रंग मे रंग देना |
अब उन बिखरे रंगो मे, अपने सपनो को खो देना ||
मैं बस ये बाते जानता हूँ, तेरी कहानी नही जानता हूँ |
लेकिन किसी अधूरे इश्क़ की कहानी है, इसलिये थोड़ा पहचानता हूँ ||2||