न्यायधीश जब न्याय माँगने
न्यायधीश जब न्याय माँगने
उजाले की चाह मेंं आखिर, खोजे दिन अब रात,
मुश्किल में हालात देश की, बड़ी अजब है बात।
इस युद्ध में जो भी जीते, जो भी हो तकरार,
टूट गयी उम्मीद देश की, हुई तंत्र की हार।
न्यायाधीश जब न्याय माँगने, निकले जोड़े हाथ,
तुम बोलो हे जन तंत्र अब, किसका दोगे साथ ?
शिक्षक लेने लगे छात्र से, जब ज्ञान की सीख,
न्यायधीश जनता से माँगे, जब न्याय की भीख।
तब जनता ये न्याय माँगने, पहुँचे किसके पास ?
हे राष्ट्र हो तुझ पे कैसे, जनता का विश्वास ?