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Asmita prashant Pushpanjali

Abstract

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Asmita prashant Pushpanjali

Abstract

हाँ, मैं कवि हूँ मेरी दुनिया अलग

हाँ, मैं कवि हूँ मेरी दुनिया अलग

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हाँ मैंं कवि हूँँ

मेरी दुनिया अलग है।

जब दुनिया जागती है

मैंं ख्यालों में खोयी रहती हूँँ

और जब दुनिया सोती है

मैंं कागज ले जागती रहती हूँँ।


हाँ मैं कवि हूँ

मेरी दुनिया अलग है।

जब दुनिया शोर मचाती है

मुझे शांति पसंद आती है

और जब दुनिया शांत होती है

मैं कागज पे लिखती रहती हूँ

हाँ मैं कवि हूँ

मेरी दुनिया अलग है।


जब दुनिया मेले सजाती है

मुझे विराने भाते है

और जब दुनिया खो जाती है

मैं कागज पर दुनिया बसाती हूँ

हाँ मैं कवि हूँ

मेरी दुनिया अलग है।


दुनिया जिती है खुदके रंजो गम मे

मैं दुनिया के दर्द सिमटने लगती हूँ

सिमटी हुई हकिकत कागज पर बयाकर

मैं तनहाइ तलाशती हूँ

हाँ मैं कवि हूँ

मेरी दुनिया अलग है।


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