माँ की साजिश
माँ की साजिश
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माँ भूख लगी है,
घर में कोई खाना नहीं है तो क्या,
खाली बर्तनों को चूल्हे में जलाकर,
ताकि खाने की आस में उसे नींद आ जाये;
यह भी याद हैI
माँ भूख लगी है,
हर एक झूठ बोल कर,
कल मीठा बनाऊँगी बोल तेरा दाल-चावल खिलाना
याद हैI
माँ भूख लगी है,
खुद एक रोटी खाकर,
मुझे भूख नहीं है कह कर सो जाती तू;
यह भी मुझे याद हैI