कुछ पल की मोहलत
कुछ पल की मोहलत
मै तेरे साथ चल दूँगा,
दो घड़ी को ठहर जाना,
है वादा यार का मेरे,
वो मुझसे मिलने आएगा l
बस इसी आस में दिल मेरा,
अब भी राह तकता है,
जिस्म बेजान हो कर भी,
यही फरियाद करता है l
कुछ घड़ी और मेरी रूह को,
ए मौत तू दे दे,
शांत इस देह को मेरी,
गले उसको लगाने दे l
साथ उसके नहीं हैं आज,
जंजीरें जमाने की,
आज न बंदिशें होंगी,
गले मुझको लगाने की l
आज वो मिल के मुझसे,
अपना भी तो गम बहाएगा,
चूम कर मेरे होंठों को,
प्यार अपना लुटाएगा l
बाद मरने के ही,
दिल की ये हसरत,
पूरी होने दे,
के मुझको बाहों में भरकर,
मेरे दिलबर को रोने दे l
खुशी से साथ तेरे,
मै चलूँगा तू कसम ले ले,
बस उसके आने तक,
रुकने की मोहलत रूह को दे दे l