कहीं खो जाना चाहता हूं
कहीं खो जाना चाहता हूं
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कहीं खो जाना चाहता हूँ
निःशब्द किसी गीत में
शब्दों के अतीत में
प्रेम की प्रतीति में
बस गुनगुनाना चाहता हूँ
कहीं खो जाना चाहता हूँ
ख्वाब जो थे साथ में
साथ जो थे साथ में
हाथ लिए हाथ में
चल पड़े थे जो मेरे
बिखर रहे है वो कहीं
फिर उन्हें समेट के
नए रंग देना चाहता हूँ
कहीं खो जाना चाहता हूँ
जज़्बात जो थे अनसुने
अनकहे और अनमने
नींद में कब से सने
खो रहे है जो कहीं
शब्दों में उनको ढाल के
कविता बनाना चाहता हूँ
कहीं खो जाना चाहता हूँ
प्रियतम के परिहार में
सावनी फुहार में
या फिर राग मल्हार में
बस डूब जाना चाहता हूँ
कहीं खो जाना चाहता हूँ