वो बेदर्द !
वो बेदर्द !
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वो खामोशी पर भी सवाल करते हैं
ये केसा सितम वो हर बार करते हैं।
एहतराम -ए- इश्क में हम कब
उनका ज़िक्र सारे-आम करते हैं
वो इस पर भी हमारे
किरदार को बदनाम करते हैं।
जुदा हुए हैं जबसे रास्ते हमारे
वो भुले से भी कहाँ हमसे राबता करते हैं।